Quantcast
Channel: Samvada
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3435

ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों का दावा, गाय के गोबर से उड़ेगा प्लेन

$
0
0

New Delhi: ये दावा देश के किसी हिंदूवादी संगठन का नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलियाई युवा वैज्ञानिकों के एक दल का है. भविष्य में एयरक्राफ्ट कैसे होंगे और उनमें किस तरह का ईंधन इस्तेमाल होगा, इसके बारे में इन दिनों यूरोप में एक मुकाबला चल रहा है. इसमें दुनियाभर के युवा वैज्ञानिकों को अपने आइडिया या मॉडल पेश करने थे. यूरोप की प्लेन बनाने वाली कंपनी एयरबस ने इस मुकाबले का आयोजन किया था. इसमें आखिरी में जो पांच आइडिया शॉर्टलिस्ट किए गए, उसमें से एक गोबर से प्लेन उड़ाने वाला भी था.

टीम क्लीमा नाम के वैज्ञानिक दल का दावा है कि गाय के गोबर और फार्म में पैदा होने वाले दूसरे कचरे से बनने वाली मीथेन गैस को प्लेन में बतौर ईंधन इस्तेमाल किया जा सकता है. मॉडल के मुताबिक, इस गैस को खूब ठंडा करके एक खास किस्म के सांचे में भर दिया जाएगा. इसे प्लेन के इंजन के साथ फिट किया जाएगा. यहां से इंजन की जरूरत के मुताबिक ईंधन की सप्लाई होती रहेगी.

मगर अभी इस मॉडल में एक दिक्कत भी है. दरअसल, प्लेन उड़ाने के लिए जितने ईंधन की जरूरत है, उसके हिसाब से गोबर की कमी पड़ जाएगी. इस वैकल्पिक ईंधन पर काम करने वाले बताते हैं कि एक गाय सालभर में जितना गोबर देती है, उससे 70 गैलन ईंधन तैयार किया जा सकता है.

लंदन से न्यूयॉर्क जाने वाली फ्लाइट का उदाहरण लें तो साढ़े तीन हजार मील की दूरी तय करने वाली इस फ्लाइट के लिए हवाई जहाज को 17,500 गैलन ईंधन चाहिए. इस तरह मौजूदा दर से देखें, तो 1 हजार गाय तीन महीने में जितना गोबर करेंगी, उससे पैदा हुई गैस इस एक फ्लाइट में बतौर ईंधन खर्च हो जाएगी. इसलिए फिलहाल साइंटिस्ट इस तरह के प्रयोग कर रहे हैं, जिसमें कम से कम गोबर से ज्यादा से ज्यादा गैस यानी ईंधन प्रॉड्यूस किया जा सके.

यदि ये प्रयोग सफल रहा, तो पर्यावरण के लिए भी बेहतर होगा. क्लीमा टीम का आकलन है कि गोबर से बनने वाला ईंधन कार्बन-डाईऑक्साइड का बनना 97 फीसदी तक कम कर सकता है.

मीथेन का प्लेन उड़ाने के लिए बतौर ईंधन पहली मर्तबा इस्तेमाल होगा, लेकिन अमेरिका में खेती में काम आने वाले कई वाहन इसी तरह के ईंधन से चलते हैं. इसका प्रोसेस बहुत सरल होता है. गाय-भैंस के गोबर और फार्म पर पैदा होने वाले दूसरे कचरे को एक टैंक में स्टोर किया जाता है. सूरज की रौशनी पड़ने के बाद इस टैंक में मीथेन गैस पैदा होती है, जिसका इस्तेमाल ईंधन के तौर पर किया जाता है.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3435

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>